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सुबह- सुबह मै खीरों के एक मार्ग मे टहल रहा था| तभी मेरी नजर मार्ग के एक ओर पर पड़े एक शराबी पर पड़ी| वह नशे पूर्ण रूप से डूबा हुआ था| उसे यह तक पता नही था की वह कहाँ पड़ा है वह तो किसी और दुनिया मे ही था|
और दूसरा द्रश्य जो मै आपको बताने जा रहा हूँ वो एक सड़क के आवारा कुत्ते का है जो ठीक शराबी के सामने सड़क के दूसरी ओर मस्ती मे सुबह की धूप का आनंद ले रहा था| इंसान और कुत्ता बिल्कुल बराबरी की स्थिति मे थे| दोनो मे कोई अंतर नही नजर आ रहा था| फिर
क्या था, मैने तुरंत मोबाइल निकाला और एक फोटो ले ली|
मेरे दिमाग मे एक यही सवाल घूम रहा है की क्या शराब इंसान को इतना नीचे गिरा सकती है की इंसान मे और कुत्ते मे कोई फर्क ही ना रह जाए| वास्तव मे शराब से दोस्ती अपनी खुद की जिंदगी से शत्रुता करने के समान है| सड़क पर जो कोई भी उस इंसान को देख रहा था वाही हंस रहा था और वो शराबी हंसी का पात्रा बन रहा था|
यह द्रश्य चीख चीख कर बता रहा था कि शराब पीने का क्या अंजाम हो सकता है लेकिन आज के मनुष्य को इन सब बातों से क्या मतलब|
शराब एक सुखी परिवार मे आग लगा सकती है | मंदिर रूपी घर को तबाह कर सकती है|
मै दीपक आज के व्यक्तियों खास कर नवयुवक बंधुओं से यह आग्रह करता हूँ कि वो ऐसे बुरी संगतियों से बचने का प्रयास करें, ताकि वे अपना भविष्य उज्ज्वल बना सकें|
(कृपया अपनी सकारात्मक या नकारात्मक टिप्पणियाँ अवश्य दे)
धन्यवाद!!
आपका प्रिय बंधु
दीपक साहू
खीरों ,रायबरेली|
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