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आज मै अपनी रचित कविता पोस्ट कर रहा हूँ| मेरा पाठकों से अनुरोध है कि अपनी बहुमूल्य राय अवश्य दें|
जहाँ लिखी जाती थी कहानी मुहब्बत की,
जहाँ खिलते थे फूल बागों मे अमन के|
कहाँ गुम हो गयी है वो मुहब्बत,
बची है यहाँ सिर्फ नफरत ही नफरत|
आतंक का फसाना लिखा जा रहा है,
मेरे प्यारे हिन्दोस्तां ये आज क्या हो रहा है|
चारों ओर भृष्टाचार छाया है,
मंहगाई ने जीना दुर्लभ बनाया है|
गरीब भूख से मर रहा है,
अमीर अपनी जेबें भर रहा है|
अपराधों पर अंकुश नाकाम हो रहा है,
मेरे प्यारे हिन्दोस्तां ये आज क्या हो रहा है|
नोट के लिए यहाँ कत्ल हो रहे हैं,
वोट के लिए षडयंत्र हो रहे हैं|
सच्चा देश प्रेम अब इतिहास बन रहा है,
देश को लूटना नेताओं का कम बन रहा है|
झूठ का अब तो सत्कार हो रहा है,
मेरे प्यारे हिन्दोस्तां ये आज क्या हो रहा है|
जहाँ कभी होती थी अहिंसा की पूजा,
प्रेम ही प्रेम था नही था कुछ दूजा|
नही बचे हैं राम–भारत जैसे भाई,
नही बचा है श्रवण जैसा बेटा कोई|
अब दीपक बस यही पुकार रहा है,
मेरे प्यारे हिन्दोस्तां ये आज क्या हो रहा है|
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