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उनसे मिलूँ इक बार!!

मेरे शब्द,मेरी शक्ति!!!
मेरे शब्द,मेरी शक्ति!!!
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आज मै कापी और पेन लेकर बैठा, सोचा की क्या लिखूँ | फिर मेरे दिमाग मे एक ख्याल आया| क्यों न आज राजनीति जैसी दो कौड़ी की वस्तु से उपर उठूँ| अतः मैने प्रेम भरी एक कविता लिख डाली| मै आज अपनी दूसरी स्वरचित कविता पोस्ट कर रहा हूँ|
मेरा पाठकों से अनुरोध है की मेरी कविता पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रतिक्रिया अवश्य दें–

कोई जब दिल को छू जाए,
बड़ा तड़पाए,
पल–पल वो ही याद आए,
उनसे मिलूँ इक बार!!


वो
ही हैं मेरे सरकार,
उनके बिना मेरा जीवन है बेकार,
उनसे हैं मेरी खुशियाँ हज़ार,
उनसे मिलूँ इक बार!!

जो हैं तो सब कुछ है,
वो जो नही तो कुछ भी नही,
वो ही हैं मेरी जिंदगानी,
हैं मेरी प्रेम कहानी,
उनसे मिलूँ इक बार!!

हैं मेरी जिंदगी मे रंग,
उनके बिना तो ये है बेरंग,
वो ही अब ख्वाबों मे आए,
मुझको वो दीवाना बनाए,,,,,
उनसे मिलूँ इक बार!!
उनसे मिलूँ एक बार!!

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