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प्रेम उसी को कहते हैं!!-“Valentine contest”

मेरे शब्द,मेरी शक्ति!!!
मेरे शब्द,मेरी शक्ति!!!
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आज मै “प्रेम” विषय पर कुछ स्वरचित पंक्तियाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ, कृपया अपनी महत्वपूर्ण राय अवश्य दे!


प्रेम शब्द के श्रवण मात्र से, मन पुलकित हो जाता है!

बंधन यह ऐसा जिसमे बंधकर, जीवन धन्य हो जाता है!!

यूं तो खिल जाते हैं फूल प्यार के, हर इक की फुलवारी मे,

प्रेम मे सब न्योछावर कर दे, उसका प्रेम अमर हो जाता है!!


पत्थर दिल को मृदुल बना दे, प्रेम उसी को कहते हैं!

जो नफरत की आग बुझा दे, प्रेम उसी को कहते हैं!!

मंद हवा मे जल जाते हैं यूं तो हर इक दीप मगर,

जो तूफान मे दीप जला दे, प्रेम उसी को कहते हैं!!


जाति धर्म का भेद मिटा दे, प्रेम उसी को कहते हैं!

भक्त हृदय मे भगवान बसा दे, प्रेम उसी को कहते हैं!!

यूं तो भटक जाते हैं मुसाफिर जीवन के किसी मोड़ पर,

जो भटके को राह दिखा दे, प्रेम उसी को कहते हैं!!

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