मेरे शब्द,मेरी शक्ति!!!
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हमारे प्रधानमंत्री माननीय मनमोहन सिंह जी ने प्रैस वार्ता मे हमे बताया की क्यों वे भृष्टाचार और घोटालों पर लगाम लगाने मे नाकाम हैं और अपनी मजबूरी की दास्तां सुनाई! मै आज उसी दास्तां-ए-पीएम को गजल रूप मे प्रस्तुत कर रहा हूँ!
गौर फरमाइएगा—–
क्यों गठबंधन के धर्म मे मजबूर हो गए,
इतने हुए मशहूर की हम चूर हो गए!
क्या मिल गया इस देश की गद्दी संभाल कर,
इतने हुए बेबस हम, कमजोर बन गए!
भृष्टाचार के जहर ने हमे लाचार कर दिया,
घोटालों के सब घाव अब नासूर बन गए!
इतने किए हैं नाम कि बदनाम हो गए,
मजबूर एक इंसान की मिसाल बन गए!
ऐ मीडिया वालों बस इतनी कृपा करो,
अब न इस तरह से तुम रुसवा हमे करो!!
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