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स्वतन्त्रता के मायने!

मेरे शब्द,मेरी शक्ति!!!
मेरे शब्द,मेरी शक्ति!!!
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आज जब लोग स्वतन्त्रता का उपभोग करते हैं, तो वे अक्सर भूल जाया करते हैं की उनके इस कार्य से किसी दूसरे की स्वतन्त्रता का हनन हो रहा है| उन्हे शायद यह याद नहीं रहता कि स्वतन्त्रता मे हमे जो अधिकार प्रदक्त किए गए हैं, उनके साथ हमे कुछ कर्तव्य भी निर्वाह करने के लिए दिये गए हैं| जब हम इन कर्तव्यों का भलीभाँति पालन करेंगे तभी हम सही अर्थ मे अपने स्वतन्त्रता और अपने अधिकारों का उपभोग कर पाएंगे!

जैसा कि हमे अधिकार है कि हम लाउडस्पीकर मे संगीत सुन सकते है| और हमारे ऐसा करने से किसी को एतराज़ नहीं हो सकता है! क्योकि यह हमारा व्यक्तिगत अधिकार है! लेकिन यदि हम चाहें कि हम इसे रात मे छत  पर ले जाकर सुने, तो यह हमारे स्वतन्त्रता के अधिकारों का उपभोग नहीं बल्कि दूसरे के अधिकारों का हनन है! जिस प्रकार हमे लाउडस्पीकर मे संगीत सुनने कि स्वतन्त्रता प्राप्त है, उससे कही ज्यादा हमारे पड़ोसियों को चैन से सोने कि भी स्वतन्त्रता व अधिकार है! यहाँ पर हमारा यही कर्तव्य होता है कि हम अपने घर मे धीमी गति के साथ संगीत का आनंद लें! जिससे हमारी स्वतन्त्रता भी बनी रहेगी और हमारे पड़ोसियों की भी! अतः स्वतन्त्रता एक सामाजिक सुलहनामा है, नाकी व्यक्तिगत अधिकार!

स्वतन्त्रता के संदर्भ मे मैंने एक पुस्तक मे पढ़ा था कि किसी शहर मे एक व्रद्ध महिला सड़क के बीचोबीच चल रही थी! जिससे यातायात को बड़ी असुविधा हो रही थी तथा उसे भी तो बड़ा खतरा था!  जब किसी सज्जन ने उससे फुटपाथ पर चलने का निवेदन किया, तब उस महिला ने इक अजीब उत्तर दिया-“मै स्वतंत्र हूँ और जहां मै चाहूँ वहाँ चल सकती हूँ” स्वतन्त्रता का ऐसा अर्थ लगाना अत्यंत गलत है! इसका कारण यह है की यदि यह पैदल यात्री को बीच सड़क मे चलने की स्वतन्त्रता देता है तो कार या दूसरे वाहनो को फुटपाथ पर चलने की स्वतन्त्रता देता है! ऐसा स्वतन्त्रता से चारों ओर अव्यवस्था फैल जाएगी! व्यक्तिगत स्वतन्त्रता सामाजिक कानूनों की कमी मे बदल  जाएगी!

उस व्रद्ध महिला के समान ही संसार स्वतन्त्रता के नसे मे चूर होता जा रहा है! आज लोग दूसरे की स्वतन्त्रता का ख्याल नहीं करते हैं! सबको स्वतन्त्रता का बराबर फायदा मिलना चाहिए! यदि ट्राफिक पुलिस का सिपाही चौराहे पर खड़ा होकर सबको न रोके, तो वह किसी को भी न रोकेगा !  पर इसका परिणाम यह होगा की, वह चौराहा कई दुर्घटनाओं का केंद्र बन जाएगा! लोग उस जगह से कहीं जा न पाएंगे! अतः चौराहे पर खड़ा सिपाही तानाशाही का नहीं बल्कि स्वतन्त्रता का प्रतीक है! जिसका काम स्वतन्त्रता व अधिकारों की रक्षा करना है!

इस प्रकार व्यक्तिगत स्वतन्त्रता की थोड़ी सी कटौती समाज मे कानून व व्यवस्था बनाती है, और हमारी स्वतन्त्रता वास्तविक हो जाती है!

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